सौरव गांगुली, क्रिकेट जगत में दादा के रूप में प्रसिद्ध, भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तानों में से एक माने जाते हैं। वह एक शानदार बल्लेबाज़ हैं और टेस्ट, वन डे और आईपीएल मैचों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के साथ-साथ कई रिकॉर्ड बनाए हैं।
दादा के अलावा, उनके प्रशंसक और प्रतिक्रिया देने वाले उन्हें कोलकाता के शहंशाह, बंगाल टाइगर और महाराजा के नाम से भी जानते हैं।
सौरव चंदीदास गांगुली का जन्म 8 जुलाई 1972 को कोलकाता के एक उच्चतम बंगाली परिवार में हुआ था। सौरव के पिता चंदीदास गांगुली कोलकाता के अमीर लोगों में गिने जाते थे।
इसलिए, यह स्वाभाविक है कि सौरव का बचपन विलासिता से भरा था। तब उनकी स्थिति और जीवनशैली इतनी थी कि लोगों ने उन्हें ‘महाराजा’ के नाम से बुलाना शुरू कर दिया था।

सौरव को अपने पढ़ाई के लिए प्रसिद्ध सेंट जेवियर्स स्कूल, कोलकाता में दाखिला दिया गया। इस दौरान, उन्हें फुटबॉल के खेल में रुचि आने लगी। बंगाल में फुटबॉल का खेल बहुत प्रसिद्ध है।
शायद यह सौरव पर भी प्रभाव डाला और उन्हें फुटबॉल खेलने की तरफ आकर्षित किया, लेकिन बाद में सौरव ने अपने बड़े भाई स्नेहाशीष गांगुली की सलाह पर क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। तब उन्होंने अपनी प्रतिभा और जुनून को ऐसे समन्वयित किया कि वह भारतीय क्रिकेट के चमकते सितारों में से एक बन गए।
सौरव ने अपनी स्कूल के दिनों से ही अपनी बल्ले की शक्ति दिखानी शुरू कर दी थी। इस दौरान, उन्होंने ओडिशा के खिलाड़ी टीम के खिलाफ बंगाल के अंतर्गत-15 टीम के खिलाफ एक शतक बनाया था।
उनकी शाही शैली के बारे में कहा जाता है कि एक बार उन्हें एकीकृत टीम में ही 12वां खिलाड़ी के रूप में रखा गया था, और एक मैच में उन्हें पिच पर खेल रहे खिलाड़ी को पानी देने के लिए कहा गया था,
तो उन्होंने इस काम के लिए स्पष्ट रूप से इनकार कर दियाइस व्यवहार के लिए उन्हें उस समय बहुत आलोचना की गई, लेकिन इसके बावजूद उनके क्रिकेट जीवन के दौरान उनके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं हुआ।
हालांकि, सौरव गांगुली को 1992 में दक्षिण पश्चिमी भारत के खिलाफ ऑडीआई के लिए भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल किया गया, जबकि उन्होंने रणजी ट्रॉफी, दुलीप ट्रॉफी आदि जैसे राष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंटों में अपने बेहतर प्रदर्शन के कारण।
इस दौरे में, 11 जनवरी 1992 को वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्हें केबा में अपना पहला वन डे अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने का मौका मिला। इस दौरे में, उन्हें केवल एक मैच में खेलने का मौका मिला और उन्होंने केवल तीन रन बनाए।
करियर के हिसाब से, यह दौरा उनके लिए फ्लॉप साबित हुआ और उन्हें इस दौरे के दौरान बुरे व्यवहार के लिए बहुत आलोचना मिली। इसके बाद, चार साल तक उन्हें राष्ट्रीय टीम में शामिल नहीं किया गया।
फिर साल 1996 में, सौरव गांगुली को इंग्लैंड के दौरे के लिए चयनित किया गया। इस दौरे में टेस्ट और वन डे मैच खेले गए। तीन वन डे मैचों में से एक वन डे मैच में सौरव को खेलने का मौका मिला और उन्होंने इस मैच में 46 रन बनाए। फिर उनके लिए असली चुनौती टेस्ट मैच में अपनी पहली पारी का सामना करना था।
20 जून 1996 को, सौरव गांगुली ने इंग्लैंड के हिस्टॉरिक लॉर्ड्स मैदान में अपना टेस्ट करियर शुरू किया और वह भी ऐतिहासिक रूप से। सौरव ने इस मैच में 131 रन की एक शानदार पारी खेली।
इसके अलावा, उन्होंने अगले मैच में भी एक सेंचुरी खेली और आलोचकों को जवाब दिया। उन्होंने इस दौरे में एक विश्व रिकॉर्ड भी बनाया। वह दूसरे टेस्ट में अपनी पहली दो सेंचुरियों की रचना करने वाले तीसरे बल्लेबाज़ बने। प्राकृतिक रूप से, इस दौरे के बाद से ही सौरव की भारतीय टीम में स्थानीयता पक्की हो गई।
सौरव गांगुली के खेल में उत्सव जुनून में एक अद्वितीय संगम था। सौरव का खेल अपार शक्ति वाले शॉट में था और वह ऊंचाई से शॉट मारकर गेंद को बाउंड्री लाइन के बाहर भेजने की खासियत थी।
हालांकि, सौरव को केवल टेस्ट मैच के लिए ही योग्य माना जाता था क्योंकि वह आंतर-पक्षीय शॉट पर खेलने में समर्थ नहीं थे, लेकिन जल्द ही उन्होंने यह मिथक भी तोड़ दिया।
1997 में, उन्होंने कैनाडा में खेले गए सहारा कप में पाकिस्तान के खिलाफ एक शानदार पारी खेली। इस मैच में, सौरव ने 75 गेंदों में 75 रन नहीं सिर्फ बनाए बल्कि सिर्फ 16 रन पर 5 विकेट लेकर भी रहे।
इसके परिणामस्वरूप, सौरव को इस टूर्नामेंट में चार बार ‘मैन ऑफ द मैच’ चुना गया और फिर उन्हें ‘मैन ऑफ द सीरीज’ भी चुना गया। इस साल, उन्हें वन डे मैचों में सबसे ज्यादा रन बनाने के लिए वर्ष के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ का खिताब दिया गया।
1999 क्रिकेट विश्व कप में, सौरव गांगुली को सचिन तेंदुलकर के साथ ओपनिंग खिलाड़ी के रूप में काम करने का मौका मिला। इस टूर्नामेंट में श्रीलंका के खिलाफ खेलते हुए, सौरव ने 183 रन की शानदार पारी खेली और पूर्व भारतीय कप्तान और ऑल-राउंडर कपिल देव के 175 रन के एकदिवसीय रिकॉर्ड को तोड़ दिया।
उस समय यह भारतीय खिलाड़ी द्वारा बनाए गए सबसे अधिक रन थे। सौरव गांगुली की साथी बल्लेबाज़ी की रिकॉर्ड जोड़ी के रूप में उन्होंने सचिन तेंदुलकर के साथ 252 रन की भारतीय टीम के लिए सबसे अधिक बनाए रनों की जोड़ी बनाई। यह जोड़ी आज तक वन डे क्रिकेट की दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी जोड़ी है।
1999 वर्ष सौरव गांगुली के क्रिकेट करियर का सबसे अच्छा वर्ष था। इस वर्ष, उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए पांच वन डे सीरीज़ और पेप्सी कप में ‘मैन ऑफ द सीरीज’ का खिताब जीता।
फिर वर्ष 2000 का समय आया, जब मैच-संशोधन की साया भारतीय टीम पर छानने लगा।सौरव गांगुली को 2000 के बाद से बार-बार आईपीएल मैच और वन डे मैचों में खराब प्रदर्शन करने का आरोप लगाया जाने लगा। उनकी कप्तानी भी कई बार प्रशंसा और आलोचना का केंद्र बनी।
इसके बावजूद, सौरव ने 2002 और 2003 में भारतीय टीम को इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ओडीआई सीरीज़ में नेतृत्व किया। उन्होंने भारत को इंग्लैंड में एकदिवसीय सीरीज़ जीतने का गर्व महसूस कराया, जब उन्होंने तीन मैचों में सफलतापूर्वक प्रदर्शन कर भारतीय टीम को विजेता घोषित किया।
सौरव गांगुली की कप्तानी का एक और अवधि 2005 से 2006 तक रही, लेकिन उनके कप्तानी का आंतरिक संघर्ष और बाहरी दबाव के कारण उन्हें अपनी कप्तानी से हटाना पड़ा।
हालांकि, सौरव ने अपने करियर के बाद कई बड़े क्रिकेटीय योजनाओं में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया है। उन्होंने 2008 में एसएलसी के लिए कोलकाता नाइट राइडर्स की कप्तानी की और टीम को पहली बार आईपीएल खिताब जीतने में मदद की।
सौरव गांगुली को उनके खेली गई एक दूसरी शानदार पारी के लिए याद किया जाता है, जब उन्होंने 2007-2008 में इंडो-पाक एसीसी टेस्ट कप के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ 239 रन की पारी खेली। यह पारी वांछित नतीजे नहीं लेकिन वन डे के बाद सौरव के लिए वन डे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ परिणामों में एक शानदार पारी है।
सौरव गांगुली की क्रिकेट करियर में कई महत्वपूर्ण क्षण रहे हैं, और उन्होंने भारतीय क्रिकेट को नई ऊचाइयों तक ले जाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज भी, सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट के एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में मान्यता प्राप्त करते हैं और उनकी कप्तानी की याद आज भी अद्यावधिक है।
क्रिकेटर सौरव गांगुली का जीवन परिचय (Sourabh Ganguly Biography in Hindi)

तथ्य | जानकारी |
पूरा नाम | सौरव चंडीदास गांगुली |
उपनाम | बंगाल टाइगर, दादा, प्रिंस ऑफ़ कोलकाता |
क्रिकेट में मुख्य भूमिका | बल्लेबाजी |
खेलने की शैली | बाएं हाथ के बल्लेबाज दाएं हाथ के मीडियम गेंदबाज |
टेस्ट मैच में पदार्पण | 20 जून 1996, लॉर्ड्स मैदान में इंग्लैंड के विरुद्ध |
वन डे मैच में पदार्पण | 11 जनवरी 1992, गाबा में वेस्टइंडीज के विरुद्ध |
आईपीएल में पदार्पण | 18 अप्रैल 2008, बंगलोर में रॉयल चैलेंजर्स के विरुद्ध (कोलकाता नाईट राइडर्स की ओर से खेलते हुए) |
अंतिम टेस्ट मैच | 6 नवम्बर 2008, नागपुर में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध |
अंतिम वन डे मैच | 15 नवम्बर 2007, ग्वालियर में पाकिस्तान के विरुद्ध |
अंतिम आईपीएल मैच | 19 मई 2012, पुणे में कोलकाता नाईट राइडर्स के विरुद्ध (पुणे वारियर्स की ओर से खेलते हुए) |
क्रिकेटर सौरव गांगुली का जीवन परिचय | Sourav Ganguly Biography in Hindi
सौरव गांगुली, जिन्हें दादा के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तानों में से एक माना जाता है। उन्होंने वनडे, टेस्ट और आईपीएल मैचों में शानदार प्रदर्शन किया है और कई रिकॉर्ड बनाए हैं।
सौरव गांगुली को कोलकाता के प्रिंस, बंगाल टाइगर और महाराजा के नाम से भी पुकारा जाता है। उनका जन्म 8 जुलाई 1972 को कोलकाता में हुआ था।
उनका शौक क्रिकेट में ही उभरा था और उन्होंने बांगलोर के खिलाड़ी की टीम के खिलाफ 1996 में अपना पहला टेस्ट मैच खेला। सौरव ने अपने खेली गई बड़ी पारी और अद्वितीय कप्तानी के लिए विश्व में पहचान बनाई है। उन्होंने १०,००० रनों की सीमा पार की और अपनी खेली गई शानदार पारी के लिए भी मशहूर हैं। सौरव गांगुली को २००४ में पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
क्रिकेटर सौरव गांगुली का जन्म, शुरुआती जीवन (Sourabh Ganguly Birth and Early Life)
क्रिकेटर सौरव गांगुली का जन्म 8 जुलाई 1972 को कोलकाता में एक श्रेष्ठ बंगाली परिवार में हुआ। सौरव के पिता चंदिदास गांगुली कोलकाता के समृद्ध लोगों में गिने जाते थे।
ऐसे में, सौरव का बचपन विलासिता से भरपूर रहा। फिर उनकी स्थिति और जीवनशैली इतनी थी कि लोग उन्हें ‘महाराजा’ के नाम से पुकारते थे।
सौरव को उनकी प्राथमिक शिक्षा के लिए कोलकाता के प्रसिद्ध सेंट जेवियर्स स्कूल में दाखिल किया गया। इस दौरान, उन्हें फुटबॉल के खेल में रुचि होने लगी। यह बात यहां उल्लेखनीय है कि फुटबॉल खेल बंगाल में बहुत प्रसिद्ध है।
शायद इससे सौरव को भी प्रभावित हुआ और वह फुटबॉल खेलने में आकर्षित हो गए, लेकिन बाद के दिनों में सौरव ने अपने बड़े भाई स्नेहाशीष गांगुली की सलाह पर क्रिकेट खेलना शुरू किया।
फिर उन्होंने अपनी प्रतिभा और जुनून को एक साथ समन्वयित करके भारतीय क्रिकेट के चमकते सितारों में से एक बन गए।
Education and early career of Sourav Ganguly (Sourav Ganguly Education and Career Starting)
सौरव गांगुली को उनकी प्राथमिक शिक्षा के लिए प्रसिद्ध सेंट जेवियर्स स्कूल, कोलकाता में दाखिला मिला। इस दौरान, उन्हें फुटबॉल के खेल में रुचि होने लगी। यह उल्लेखनीय है कि बंगाल में फुटबॉल बहुत प्रसिद्ध है।
शायद इसका असर सौरव पर भी पड़ा और वे फुटबॉल की ओर आकर्षित हो गए, लेकिन बाद में सौरव ने अपने बड़े भाई स्नेहाशीष गांगुली की सलाह पर क्रिकेट खेलना शुरू किया।
फिर उन्होंने अपनी प्रतिभा और जुनून को एक साथ समन्वयित करके भारतीय क्रिकेट के चमकते सितारों में से एक बन गए।
सौरव ने अपने स्कूली दिनों से ही अपने बैट की ताकत दिखानी शुरू की। इस दौरान, उन्होंने ओडिशा के खिलाफ खेलते हुए बंगाल की अंडर-15 टीम के लिए सेंचुरी बनाई।
उनके राजवंशी शैली के बारे में कहा जाता है कि एक बार वह उसी टीम के 12वें खिलाड़ी के रूप में रखे गए थे, और मैच के दौरान उनसे पिच पर खेल रहे खिलाड़ी को पानी देने के लिए कहा गया था,
जिसे उन्होंने स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया था। हालांकि, उस समय उन्हें इस व्यवहार के लिए बहुत आलोचना की गई, लेकिन इसके बावजूद उनके क्रिकेट जीवन में उनके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं हुआ।
हालांकि, सौरव गांगुली को 1992 में वेस्टइंडीज की यात्रा के लिए भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल किया गया, जिसमें उनके द्वारा दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दिखाए गए बेहतर प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए किया गया था।
इस यात्रा में, 11 जनवरी 1992 को वे गैबा में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला वनडे खेले। इस यात्रा में, उन्हें केवल एक मैच खेलने का मौका मिला और उन्होंने केवल तीन रन बनाए।
करियर के हिसाब से, यह यात्रा उनके लिए एक असफलता साबित हुई थी और उन्हें इस यात्रा के दौरान बुरे व्यवहार के लिए भी बहुत आलोचना की गई। इसके बाद, उन्हें चार साल तक राष्ट्रीय टीम में शामिल नहीं किया गया।
फिर1996 में, सौरव गांगुली को इंग्लैंड की यात्रा के लिए चुना गया। इस यात्रा में टेस्ट और वनडे मैच दोनों खेले गए। तीन वनडे मैचों में से, सौरव को केवल एक मैच में खेलने का मौका मिला और उन्होंने इस मैच में 46 रन बनाए।
तब उनके लिए असली चुनौती टेस्ट मैच में खुद को साबित करने की थी। 20 जून 1996 को, सौरव गांगुली ने इंग्लैंड के ऐतिहासिक लॉर्ड्स मैदान पर अपना पहला टेस्ट करियर शुरू किया और वह भी इतिहास के साथ।
सौरव ने इस मैच में 131 रनों की शानदार पारी खेली।
इसके अलावा, उन्होंने अगले मैच में भी शतक बनाकर खुद को साबित किया और क्रिटिक्स को जवाब दिया। इस यात्रा में उन्होंने एक विश्व रिकॉर्ड भी बनाया। उन्होंने अपने पहले दो टेस्ट मैचों में दो सेंचुरीज़ बनाने वाले तीसरे बैट्समैन बन गए। प्राकृतिक रूप से, सौरव की भारतीय टीम में इस यात्रा के बाद से निश्चित स्थान था।
सौरव गांगुली का क्रिकेट सफ़र (Sourav Ganguly Career)
सौरव गांगुली का क्रिकेट सफ़र बहुत ही शानदार रहा है। उन्होंने भारतीय क्रिकेट को अनेक महत्वपूर्ण पलों में रोशनी दी और उनका योगदान भारतीय क्रिकेट इतिहास में यादगार रहेगा।
क्रिकेट विश्व कप 1999
1999 के क्रिकेट विश्व कप में, सौरव गांगुली को सचिन तेंदुलकर के साथ ओपनिंग बैट्समैन के रूप में क्षेत्र में उतारा गया। इस टूर्नामेंट में श्रीलंका के खिलाफ खेलते हुए,
सौरव ने 183 रनों की एक शानदार पारी खेली और पूर्व भारतीय कप्तान और ऑल-राउंडर कपिल देव के 175 रनों के ओडीआई रिकॉर्ड को तोड़ दिया। यह उस समय के सबसे अधिक रन बनाने वाले भारतीय खिलाड़ी की रिकॉर्ड स्कोर थी।
कप्तानी की जिम्मेदारी
2000 में, जब भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान के चयन में संकट का सामना कर रही थी, तब सौरव गांगुली ने कप्तानी की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने दूरदर्शी और उन्नतिशील कप्तानी के रूप में अपना रवैया साबित किया और भारतीय टीम को दीर्घकालिक नेतृत्व प्रदान की।
युवा खिलाड़ियों का प्रोत्साहन
सौरव के कप्तान बनने के दौरान, भारतीय क्रिकेट टीम में युवा खिलाड़ियों को खेलने का मौका मिला। उनकी नेतृत्व में जैसे जहीर खान, हरभजन सिंह, युवराज सिंह, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे युवा खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया।
क्रिकेट विश्व कप 2003
सौरव ने भारतीय कप्तान के रूप में 2003 के क्रिकेट विश्व कप में अपनी टीम को फाइनल तक पहुंचाया। यह भारतीय क्रिकेट के लिए महत्वपूर्ण क्षण था और सौरव की नेतृत्व में टीम ने मजबूत प्रदर्शन किया।
पद्मश्री पुरस्कार
2004 में, सौरव गांगुली को उनके भारतीय क्रिकेट में महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक सम्मान है और सौरव ने इसे प्रसौरव गांगुली ने भारतीय क्रिकेट के लिए अपना अद्वितीय योगदान दिया है। उनका क्रिकेट सफ़र उत्कृष्टता और महानता से भरा हुआ है। यहां कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं हैं जिनके दौरान सौरव ने विशेष प्रकाश डाला:
टेस्ट डेब्यू
1996 में, सौरव गांगुली ने इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला। उन्होंने लॉर्ड्स मैदान पर एक ब्रिलियंट शतक बनाकर चर्चा में रहे। यह टेस्ट मैच उनके लिए एक ऐतिहासिक मोमेंट बन गया और वे भारतीय क्रिकेट टीम की पकड़ को मजबूती दिखाने लगे।
कप्तानी
2000 में, सौरव गांगुली ने भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी संभाली। उन्होंने टीम के नेतृत्व में एक नई ऊर्जा और आत्मविश्वास लाया और टीम को बड़े टूर्नामेंटों में मजबूत रखा। उनकी कप्तानी के दौरान भारतीय क्रिकेट ने बहुत सारे महत्वपूर्ण जीत दर्ज की।
वनडे विश्व कप 2003
सौरव ने भारतीय कप्तान के रूप में वनडे विश्व कप 2003 में अपनी टीम को फाइनल तक पहुंचाया। यह उनकी अद्वितीय प्रदर्शन थी, जिसमें उन्होंने खुद को और भारतीय क्रिकेट को गर्व महसूस कराया।
क्रिकेट विश्व रिकॉर्ड
सौरव गांगुली ने अपने क्रिकेट करियर में कई रिकॉर्ड बनाए हैं। उन्होंने वनडे इंटरनेशनल में 22 शतक बनाए और टेस्ट में 16 शतक बनाए। उन्होंने भारतीय कप्तान के रूप में बहुत सारे विजयशील जीत दर्ज की।
क्रिकेट के बाद
सौरव गांगुली क्रिकेट के बाद भी क्रिकेट जगत में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाए रखा है। उन्होंने अपनी क्रिकेट ज्ञान और उनके अनुभव को कोच के रूप में भी साझा किया है।
उन्होंने विभिन्न टीमों और आईपीएल टीमों की कोचिंग की और क्रिकेट के माध्यम से अपना योगदान जारी रखा है।
सौरव गांगुली का क्रिकेट सफ़र एक प्रेरणादायक कहानी है। उन्होंने अपनी प्रतिभा, कठिनाइयों का सामना करते हुए, निरंतरता और उत्साह के साथ अपनी यात्रा जारीकी है। उन्होंने भारतीय क्रिकेट को गर्व महसूस कराया और अनेक महत्वपूर्ण जीत दर्ज की।
(Sourav Ganguly Batting Record)

फॉर्मेट | मैच | इनिंग्स | नॉट आउट | रन | उच्च स्कोर | औसत | स्ट्राइक रेट | 100 | 200 | 50 | चौके | छक्के |
टेस्ट | 113 | 188 | 17 | 7212 | 239 | 42.18 | 51.26 | 16 | 1 | 35 | 900 | 57 |
वन डे | 311 | 300 | 21 | 11363 | 183 | 40.73 | 73.71 | 22 | 0 | 72 | 1122 | 190 |
आईपीएल | 59 | 56 | 3 | 1349 | 91 | 25.45 | 106.81 | 0 | 0 | 7 | 137 | 42 |
आंकड़ों में सौरव गांगुली की गेंदबाजी (Sourav Ganguly Bowling Record)

फॉर्मेट | मैच | इनिंग्स | बॉल | रन | विकेट | इनिंग में श्रेष्ठ | मैच में श्रेष्ठ | रन/ ओवर | औसत | स्ट्राइक रेट |
टेस्ट | 113 | 99 | 3117 | 1681 | 32 | 28/3 | 37/3 | 3.24 | 52.53 | 97.41 |
वन डे | 311 | 171 | 4561 | 3849 | 100 | 16/5 | 16/5 | 5.06 | 38.49 | 45.61 |
आईपीएल | 59 | 20 | 276 | 363 | 10 | 21/2 | 21/2 | 7.89 | 36.3 | 27.6 |
सौरव गांगुली को मिले अवार्ड और सम्मान (Sourav Ganguly Awards)
क्रं. सं. | अवार्ड और सम्मान | वर्ष |
1 | अर्जुन पुरस्कार | 1998 |
2 | स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ़ दी ईयर | 1998 |
3 | बंगा विभूषण पुरस्कार | 2013 |
4 | पद्म श्री पुरस्कार | 2004 |
1. अर्जुन पुरस्कार (1998)
सौरव गांगुली को 1998 में भारतीय खेल रत्न पुरस्कार, जिसे अर्जुन पुरस्कार के नाम से भी जाना जाता है, से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें उनके क्रिकेट की उत्कृष्टता और महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रदान किया गया।
2. स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ दी ईयर (1998)
सौरव गांगुली को 1998 में स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ दी ईयर अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस अवार्ड ने उनके महत्वपूर्ण खेली गई प्रदर्शन और क्रिकेट विश्व में उनकी मान्यता को मान्यता प्रदान की।
3. बंगा विभूषण पुरस्कार (2013)
सौरव गांगुली को 2013 में बंगा विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दिया जाता है और इसका उद्देश्य उन व्यक्तियों को मान्यता देना है जिन्होंने पश्चिम बंगाल राज्य के लिए महत्वपूर्ण योगदान किया है।
4. पद्मश्री पुरस्कार (2004)
सौरव गांगुली को 2004 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पद्मश्री भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला चौथा सबसे उच्च नागरिक सम्मान है और इसे उत्कृष्ट योगदान और सामरिक शौर्य के आधार पर प्रदान किया जाता है।
सौरव गांगुली का निजी जीवन, पत्नी, बेटी (Sourav Ganguly Lifestyle, Wife, Daughter)
सौरव गांगुली, भारतीय क्रिकेट टीम के सफल खिलाड़ियों में से एक, अमीर परिवार से संबंध रखते थे। इसका प्रभाव था कि उनका जीवन हमेशा गर्व से भरा रहा।
लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि उन्होंने अपने जीवनसाथी के रूप में उनकी पत्नी डॉना को चुना था, जो मध्यम वर्गीय परिवार से थीं। हां, हम उनकी पत्नी डॉना की बात कर रहे हैं।
डॉना एक ओडिशी नृत्यांगन हैं। दोनों ने परिवार के विरोध के बावजूद प्यार में विवाह किया। सौरव के परिवार ने इस रिश्ते को स्वीकार नहीं किया क्योंकि उनके प्रभाव के कारण।
इसके बावजूद, सौरव ने गुप्त रूप से डॉना से अगस्त 1996 में विवाह किया। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस समय सौरव के करियर के हिसाब से भी यह महत्वपूर्ण था, क्योंकि उन्होंने उसी साल इंग्लैंड की यात्रा के साथ अपने टेस्ट डेब्यू किया। हालांकि, सौरव ने दोनों मुखों पर सफलता प्राप्त की।
अंत में, जब विवाह का राज खुल गया, तो दोनों परिवारों के सदस्यों ने रिश्ते को स्वीकार किया और फिर से फरवरी 1997 में दोनों की शादी वंशीय रीति के अनुसार हुई। इसके बाद, 2001 में उनकी बेटी साना की जन्म हुई।
सौरव गांगुली, भारतीय क्रिकेट टीम के सफल खिलाड़ियों में से एक, अब भी क्रिकेट से जुड़े हुए हैं। जुलाई 2014 में क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल ने उन्हें खेल प्रशासक के रूप में नियुक्त किया।
इसके अलावा, वह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैचों में हिंदी में टीवी पर कमेंट्री भी करते हैं। उन्हें हमेशा भारतीय क्रिकेट के इतिहास में वह कप्तान के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने अपनी टीम में विजय के लिए उत्साह को जगाया।